Saturday, December 15, 2012

Young Jains of Nairobi's Film Show

In the spirit of Christmas comes the opportunity to give back and share the joy with one another. The Young Jains of Nairobi organised a fabulous film show at the Westgate Shopping Mall and thereafter lunch at the SSD Temple in conjunction with the Rotary Club last Saturday.

The guests both young and old from different old-age homes and schools got to enjoy pre-Christmas celebrations. The volunteers from the Young Jains were well supported by the mature and dedicated Rotarians, their teachers and caretakers.

It was commendable how dedicated they were to offering care to the disabled and helping them to the bathroom. What better way to show one's Christmas spirit than to share and donate to those who need it the most.

Jaipur Foot Foundation get donation
The Hindu Council of Kenya held a donation drive of wheel chairs for the Jaipur Foot Foundation at the Jalaram Temple on December 2. It was a highly dignified affair with the chief guest being Vice-president Kalonzo Musyoka and his wife Pauline. The children were awed to meet a state couple and the Jaipur Foot Foundation was deeply honoured too.

The Star, Kenya 

Claremont Lincoln Inaugurates Center for Jain Studies

CLAREMONT, Calif., United States

On Oct. 8, only one year since the beginning of the Jain Studies program, Claremont Lincoln University celebrated the inauguration of a new Center for Jain Studies.

 The inaugural ceremony was held at the Claremont School of Theology prior to the national panel discussion of the Parliament of the World’s Religions, in which the Jain tradition was represented by former JAINA president, and one of the senior advisors for the Jain Studies program at Claremont Lincoln, Dr. Sulekh Jain.

 In the ceremony, Jain Studies professor Brianne Donaldson, who has served as the Dharma Traditions coordinator for the past year that administers the majority of the Jain projects and activities, recounted the beginnings of the Jain Studies program and its many accomplishments so far.

 Dr. Nitin Shah of Loma Linda University and past president of the Jain Center of Southern California, and one of the main donors behind the opening of the new center, spoke on the importance of education in the current world.

 In the course of just one year, the Jain Studies program at Claremont Lincoln has become one of the most active Jain Studies graduate programs in the nation.

 The opening celebration also featured a short cultural program of music, dance, and theater performances.

Wednesday, December 12, 2012

जैन समुदाय को चाहिए अल्पसंख्यक का दर्जा

नई दिल्ली, रविवार, 2 दिसंबर 2012

भारत की आजादी के 65 वर्ष गुजरने के बावजूद जैन समुदाय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा नहीं मिला है। समुदाय को केवल कुछ राज्यों में अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा मिला हुआ है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 14 फरवरी 2012 की अपनी बैठक में इस बारे में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखने का फैसला किया था। इसके बाद आयोग ने मंत्रालय को पत्र लिखा और इस विषय पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया था।

कानून मंत्रालय ने पिछले वर्ष कहा था कि वह समुदाय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान करने के लिए एक फॉर्मूले पर काम कर रहा है। हालांकि एक वर्ष से अधिक समय गुजरने के बाद अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है।

जैन समुदाय के आध्यात्मिक गुरु संजय मुनि ने कहा कि आज अलग-अलग पंथ एवं ईश्वर को मानने वाले अपने लिए इस तरह के दर्जे की मांग कर रहे हैं। अगर सभी को अल्पसंख्यक दर्जा या आरक्षण प्रदान कर दिया गया, तब फिर पुरानी स्थिति लौट आएगी। उन्होंने हालांकि कहा कि अगर अल्पसंख्यक दर्जा देना है, तब समग्रता से विचार करते हुए प्रदान करना चाहिए, ऐसी पात्रता जैन समुदाय रखता है।

जैन समुदाय की इस मांग के लिए अभियान चलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता दीक्षा मेहता ने कहा कि जैन समुदाय पिछले 20 वर्ष से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत समुदाय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान किए जाने की मांग कर रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पहले ही 103वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है जिसके तहत जैन समुदाय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान किया जा सकता है।

दीक्षा मेहता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्रीय मानवाधिकार (यूएनएचआर) से जुड़े नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार अंतरराष्ट्रीय नियम 1966 के तहत ऐसे समूहों को अल्पसंख्यक अधिकार प्रदान किए जा सकते हैं जो जातीय, धार्मिक एवं भाषायी अल्पसंख्यक हों और जिनकी अपनी अलग पहचान एवं संस्कृति हो। जैन समुदाय के लोगों ने अपनी मांग के समर्थन में हाल ही में नई दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया था।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 1 नवंबर 1994 में इस बारे में पहली सिफारिश दी थी। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद सरदार अली खान ने तत्कालीन सामाजिक कल्याण एवं अधिकारिता मंत्री सीताराम केसरी को एक पत्र लिखकर यह बताया था कि आयोग की 172वीं बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय किया गया कि ‘जैन एक अलग धर्म है और यह अल्पसंख्यक समुदाय की सूची में शामिल किए जाने की पात्रता रखता है।’

दूसरी सिफारिश 22 फरवरी 1996 को सामने आई जब राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के त्रिलोचन सिंह ने तत्कालीन सामाजिक कल्याण सचिव केबी सक्सेना को पत्र लिखकर कहा कि आयोग की बैठक में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय की सूची में शामिल किए जाने के बारे में भारत सरकार को वैधानिक सुझाव भेजने का निर्णय किया गया है। इसलिए इस सुझाव के आलोक में एनसीएम अधिनियम 1992 की धारा 9 (1) के तहत समुदाय को अल्पसंख्यक की सूची में शामिल किया जाए। आयोग ने 30 अगस्त 2007 को विश्व जैन संगठन के ज्ञापन को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को भेजा था। (भाषा)

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