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Wednesday, January 26, 2011

Jain Girl Becomes Nun

YADGIR: A 20-year-old girl, Mumiksha Tina  Jain took sanyas here on Sunday. She was initiated by Ujwalaprabhaji, a Jain sanyasini in Yadgir.

"By sacrificing everything in our life we will lead our life towards spirituality," said Mumiksha Tina. She will participate in a Jain spiritual camp to be held in May for 15 days.

The camp will be held in Karnataka for young Jain girls. A degree holder, Tina's inclination towards spirituality led to her taking sanyas.
(TOI)

Thursday, July 29, 2010

Jain Girl to Become Jain Nun

22-year-old rich girl chucks it all for sainthood
M R Venkatesh, Chennai, Jul 19, DH News Service:
Monday, July 19, 2010

As the medical world on Monday remembered the angelic Nurse Florence Nightingale for her deep compassion and devotion in tending the sick as ‘Nurses Day’, the Jain community here sprang a surprise.

In a different kind of compassionate response to cure men of the “sickness within”, Deepa, a 22-year-old commerce graduate, who could have gone miles for an MBA and a plum job, stunned her parents when she announced that she plans to “give up this world for a better tomorrow”.

Deepa, hailing from a well-to-do business class family in the city, whose forefathers had migrated decades ago to old Madras from Sojat district of Rajasthan, did not wish to go in search of more riches or gold.

Deepa’s father Tarachandji Garadia runs a profitable jewellery shop in Sowcarpet in North Chennai, the mini-Rajasthan in Tamil Nadu’s capital. The young girl could have got all that she wanted.

But a reflective Deepa chose to follow in the footsteps of her younger sister, Rekha, who has already taken ‘Diksha’ (initiation into monk-hood as per Jainism’s religious tradition) three years ago.

After getting the parental nod, including of her grieving mother Vimala Bai Garadia, the spiritual aspirant Deepa, clad in bridal attire, symbolically for the first and last time in her life, announced at a press conference here about her intent to become a ‘Jain Muni’.

“Deepa thinks that this world is so full of evil and ugliness; she strongly feels the only way to go to heaven as per our Jain tradition is to renounce the world and do some good to society as a monk,” Sangeetha, a close relative of the young girl told Deccan Herald. The ceremony for Deepa’s formal initiation into a life of renunciation – Diksha – has been fixed for July 21, Sangeetha added.

Former Tamil Nadu Director General of Police, S Sripal, a Jainism scholar himself, said when women take ‘Diksha’, “the hair on their head would be plucked”. The initiated girl would then have to don white attire and go barefoot, along with the other woman saints in the fraternity.

Sunday, May 4, 2008

तीन जैन साध्वियों की दर्दनाक मौत

उदयपुर,
उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर खरपीणा गांव के निकट बुधवार सुबह टाटा सुमो के चपेट में आने से तीन जैन साध्वियों की दर्दनाक मौत और तीन घायल हो गई। इनमें से एक की हालत गम्भीर है। दुर्घटना सुमो के चालक को नींद की झपकी आने से हुई। पुलिस ने नाकेबंदी कर चालक को वाहन सहित उदियापोल क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। उधर इस भीषण दुर्घटना के समाचार से जैन समाज में शोक की लहर छा गई। अस्पताल में लोग उमड पडे। दिवंगत हुई साध्वियों की पार्थिव शरीर को पंचायती नोहरे में दर्शनार्थ के लिये रखा गया।

उदयपुर से 20 किलोमीटर दूर उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर आज सुबह खरपीणा गांव के स्कूल से विहार कर उदयपुर की ओर आ रही स्थानाकवासी श्रमणसंघ के शीतल सम्प्रदाय की साध्वियां आधा किलोमीटर की दूरी तय ही की थी कि पीछे से तीव्र गति से अहदाबाद की ओर से आ रही टाटा सूमो ने छह साधिवयों पर चढा दी जिससे तीन साध्वियों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई जबकि एक साध्वी गम्भीर रूप से घायल हुई और दो को मामुली चौटें आई।

बताया गया है कि श्रमण संघ के शीतल सम्प्रदाय के पूज्य उदयमुनि व अरविन्द मुनि की शिष्या जसकुंवर जी की विदूषी शिष्या साध्वी सिद्घ कुंवर (64), साध्वी विनयप्रभाजी (40), साध्वी दिव्यप्रभाजी (25), साध्वी संयम प्रभाजी (35), साध्वी विमल प्रभाजी (57), साध्वी मुक्ति प्रभाजी (32), साध्वी किरण प्रभाजी (40) व साध्वी शशी प्रभाजी (39) कल मंगलवार का विहार करते हुए खरपीणा गांव पहुंचे। शाम को खरपीणा गांव के स्कूल में रात्रि मुकाम पुरा किया। सुबह भोर होने पर विहार पुनः शुरू किया। विदूषी साध्वी सिद्घ कुंवरजी आदि ठाणा विहार कर उदयपुर की ओर आ रहे थे। स्कूल से करीब आधा किलोमीटर ही चले थे कि पिछे से तेज गति से आ रही टाटा सूमो ने छह बजे करीब साध्वियों को चपेट में ले लिया। इस भीषण दुर्घटना की शिकार हुई साध्वी शशि प्रभा ने संजल आंखो से बताया कि वह सबसे पीछे चल रही थी और अहमदाबाद की ओर से टाटा सूमो लेकर चालक तेज गति से आ रहा था सबसे पहले मुझे टक्कर मारी जिससे मैं उछल कर दूर गिरी और मेरे हाथ में जो पात्रे थे वह टूट गये। उन्होंने बताया कि मुझे टक्कर मारने के बाद साध्वी सिद्घ कुंवर, साध्वी विनय प्रभा, साध्वी दिव्य प्रभा व संयमप्रभा को कुचलता हुआ सबसे आगे चल रही साध्वी विमल प्रभाजी को टक्कर मारता हुआ चालक तेज गति से उदयपुर की भागते समय दुर्घटना स्थल से करीब 100 मीटर दूर जोकर गाडी को रोककर पीछे देखा तो सभी साध्वियां जमीन पर गिरी हुई थी और यह देख वह उदयपुर की ओर भाग छूटा। इन्ही छह साध्वियों के कुछ ही दूरी पर पीछे आ रही साध्वी मुक्तिप्रभाजी व साध्वि किरणप्रभाजी ने यह दृश्य देखते ही उनकी आंखो से आंसू बहने गले। हिम्मत कर मामूली घायल हुई साध्वी विमलप्रभाजी एवं साध्वी शशिप्रभाजी ने मिलकर उछलकर दूर गिरी साध्वी संयमप्रभाजी को खिंचकर सडक के किनारे लाये। उनके बाद उन्होंने करीब 20-25 वाहनों को रूकने का इशारा किया। लेकिन कोई भी इनकी मदद के लिये नहीं रूका। दुर्घटना करीब पौने छह बजे करीब हुई थी। दुर्घटना के 10-12 मिनिट बाद बाडोली निवासी भगवतीलाल पुत्र सोहनलाल नवलखा अपनी गाडी से पत्नी लीलादेवी पुत्री अलका के साथ उदयपुर की तरफ आ रहा था। वह अपने ससुराल राकोला गंगाुपर में शादी समारोह में भाग लेने जा रहा था। उसने देखा कि करीब दो वर्ष पूर्व बाडोली में चातुर्मास कर गई साध्वियों की यह दशा देख वह रूका। वह गाडी से उतरकर सभी साध्वियों की नाडी देखा तो साध्वी संयमप्रभाजी की सांसे चल रही थी। वह तुरन्त साध्वीसंयम प्रभाजी को अपने वाहन से लेकर एमबी चिकित्सालय पहुंचा रास्ते में ही उसने मोबाइल से अपने गांव सूरत में सूचना दे दी। सूचना मिलने पर सबसे पहले सूरत से ज्योतिषाचार्य कान्तिलाल जैन के यहां टेलिफोन पर यह सूचना आई। सूचना की जांच करने के बाद उन्होंने तुरन्त नाकोडा ज्योतिष कार्यालय में विराजित श्रमणसंघ के वरिष्ठ प्रवर्तक रूपमुनि को दी और सभी समाज के पदाधिकारियों को भी इस घटना की सूचना दी। नवलखा अपने वाहन से करीब 6.30 बजे साध्वि को लेकर एमबी चिकित्सालय पहुंचा वहां पर पहले ही सकल जैन समाज के नवयुवक मण्डल श्री महावीर युवा मंच संस्थान के पदाधिकारी एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व हाथीपोल थानाधिकारी मय जाप्ते के वहां मौजूद थे। उन्होंने तुरन्त सयंमप्रभाजी को गाडी से उतारकर उपचार के लिये ले गये। इस बीच सूचना के आधार पर एमबी चिकित्सालय के अधीक्षक डा एसके कौशिक भी वहां पहुंच गये। उन्होंने तुरन्त डा फतहसिंह मेहता और डा आरएन लढ्ढा को बुलाकर साध्वि संयमप्रभाजी को इजाज मुहैया कराया। साध्वि संयम प्रभाजी का उपचार चल ही रहा था कि अस्पतालमें जैन समाज के सभी घटकों के पदाधिकारियों एवं लोगों के पहचने का क्रम शुरू हो गया। 7.20 बजे जब एम्बुलेन्स से साध्वियों के पार्थिव शरीर पुलिस दल लेकर एमबी चिकित्सालय पहुंचा तब यह देखकर अस्पताल में कोहराम मच गया। हर किसी की यह दृश्य देखकर आंखे छलक पडी उधर इस दुर्घटना से अपनी विदूषी साध्वी तथा दो अन्य के अकाल निधन पर चारों साध्वियां फूट-फूटकर रो रही थी। वे अपने शरीर पर आई चोटे भी भूल गई। समाज के सभी लोगों ने साध्वी संयमप्रभा को पुरा उपचार मुहैया कराया। इसके बाद 8.30 बजे तीनों साध्वियों के पार्थिव शरीर को एम्बुलेन्स में लेकर तथा चारों साध्वियों के साथ सिन्धी बाजार स्थित पंचायती नौहरे में ले जाया गया जहां उनकी धार्मिक क्रिया के बाद तीनों को समाधि की अवस्था में तीन पाट पर बिठाया गया। जहां सकल जैन समाज ही नहीं अन्य समाज के लोगों ने भी साध्वी श्री के दर्शन किये और सभी की आंखे छलक रही थी। बेगू, भीलवाडा व उदयपुर संघ के बीच रूपमुनि की निश्रा में हुई बैठक के बाद अन्तिम संस्कार गुणी साध्वि यशकुंवर के सानिध्य में भीलवाडा में कराने का फैसला किया गया। दोहपर 1.50 बजे लोगों ने साध्विश्री के अन्तिम दर्शन किये और बाद में उन्हे अलग-अलग एम्बुलेन्स से तीनों साध्वियों को समाधी की अवस्था में बैठाकर भीलवाडा की और रवाना हुए।

दो साल से गुजरात में कर रहे थे चातुर्मास साध्वि सिद्घ कुंवर आदि ठाणा 8 2005 से गुजरात में ही विहार कर रहे थे और चातुर्मास कर रहे थे। सबसे पहले 2005 में बाडोली, 2006 में उधना व 2007 में व्यारा में चातुर्मास किया। व्यारा से चातुर्मास समाप्त कर अहमदाबाद, गांधीनगर होते हुए उदयपुर की और आ रहे थे। इन्होंने होली चातुर्मास हिम्मतनगर में किया। महावीर जयन्ती उदयपुर में करकर अपनी गुरूमयी यशकुंवर के पास विहार कर जाना था और इन सभी का गुरूमयी यशकुंवर के साथ शाहपुरा में 2008 का चातुर्मास तय था।

बाडोली के नवलखा ने दी पहली सहायता बाडोली के रहने वाले भगवतीलाल नवलखा ने सडक पर अचैत पडी साध्वि संयम प्रभा को तुरन्त अपनी गाडी से एमबी चिकित्सालय पहुंचाया और अपने मोबाइल से सूरतसंघ को सूचना दी और सूरत से यह सूचना उदयपुर में आई।

किसने क्या कहा डा अमरेशमुनी ने कहा कि इस तरह के जो हादसे किसी के हाथ में नहीं होते लेकिन अकाल मृत्यु संवेदना पहुंचाती है। साध्वी विजयलक्ष्मी ने कहा कि जीवन को जागृति संदेश देती है। जिन्दगी के पल भर का भरोसा नहीं इसलिये हर श्रण सावधान रहे। डा स्नेह प्रभाजी ने कहा कि हादसा हुआ जो बहुत बडे दुख की बात है। जितनी सडक की सुविधा बढ रही है उतने ही हादसे बढे है इसलिये चालक को व्यसन मुक्त होकर वाहन चलाना चाहिये। होनी को कोई नहीं टाल सकता लेकिन प्रयत्न करना इन्सान के वश में है।

घटनाक्रम
5.45 पर स्कूल से विहार,
5.55 पर दुर्घटना,
6.04 मिनिट पर उदयपुर में सूचना,
6.30 पर साध्विी संयम प्रभा को अस्पतल पहुंचाया,
7.20 पर तीनों साध्वियों की पार्थिव देह अस्पताल पहुंची,
8.30 बजे पंचायती नौहरे में अन्तिम दर्शनाथ के लिये साध्वियों को समाधि की अवस्था में बिठाया,
1.50 पर भीलवाडा के लिये रवाना, जगह-जगह लोगों ने किये अन्तिम दर्शन तीनों साध्वियों के पार्थिव शरीर को उदयपुर से फोरलेने मार्ग से भीलवाडा ले जाया गया जहां मार्ग में जगह-जगह लोगों ने साध्वियों के पार्थिव देह के अन्तिम दर्शन किये।

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